Navratri 2022: नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री को सफेद रंग है बेहद प्यारा, जानें पूजा विधि और मंत्र !

शारदीय नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है. देवी शैलपुत्री ज्ञान और स्थिरता की प्रतीक हैं. इसकी पूजा करने से योग्य वर की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कैसे करें नवरात्रि के पहले दिन की पूजा और कैसे करें माता शैलपुत्री को प्रसन्न.

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Navratri 2022: नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री को सफेद रंग है बेहद प्यारा, जानें पूजा विधि और मंत्र !
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री को ऐसे करें प्रसन्न

Sardiya Navratri Day 01: शारदीय नवरात्रि आज से शुरू हो गई है. ये त्योहार आश्विन मास की नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होती है. इस साल नवरात्रि पूरे नौ दिनों की है. वहीं 5 अक्टूबर 2022 को नवरात्रि का समापन होगा. मां दुर्गा ने 9 दिनों तक राक्षसों से युद्ध किया और दसवें दिन उन्होंने असुरों पर विजय प्राप्त की. बता दें, नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’. ‘नव’ का अर्थ है ‘नौ’ और ‘रत्रि’ का अर्थ है ‘रात’. इन नौ दिन माता रानी के सभी रूपों की पूजा- अर्चना बड़े धूम धाम से भक्त करते है. देवी दुर्गा दैवीय शक्तियों, शक्ति और ज्ञान का प्रतीक हैं जिनका उपयोग बुराई और दुष्टता की नकारात्मक शक्तियों के खिलाफ किया जाता है. इन दिनों में लगातार नौ दिन मां दुर्गा पूजा- अर्चना के साथ उनका पसंदीदा भोग भी लगाया जाता है. शारदीय नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है. देवी शैलपुत्री ज्ञान और स्थिरता की प्रतीक हैं. इसकी पूजा करने से योग्य वर की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कैसे करें नवरात्रि के पहले दिन की पूजा और कैसे करें माता शैलपुत्री को प्रसन्न.

चढ़ाए सफेद रंग का भोग :

शारदीय नवरात्रि के पहले माता शैलपुत्री को सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाना न भूलें साथ ही माता के चरणों में गाय का घी अर्पित करें. इस दिन सफेद कपड़े और सफेद फूल अर्पित करें. माता को सफेद रंग की चीजें और सफेद रंग की मिठाई प्रिय है, ऐसा करने से माता प्रसन्न रहेंगी. यह भी पढ़ें: Navratri 2022: जानें आखिर कौन-कौन से हैं मां दुर्गा के नौ अवतार, साथ ही जानिए उनका महत्व


शारदीय नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें पूजा:

नवरात्रि के पहले दिन माता रानी की कृपा पाने के लिए भक्त अपने घरों में कलश की स्थापना करते हैं और पूजा विधि का पालन कर मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं.

इस दिन सबसे पहले गंगाजल छिड़क कर उस स्थान विशेष को शुद्ध कर लें.

इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का स्वस्तिक बनाएं और उसके ऊपर कलश स्थापित करें.

कलश में आम के पत्ते रखें और उसमें पानी या गंगाजल भर दें. कलश में एक सुपारी, कुछ सिक्के और दूर्वा के साथ हल्दी की गांठ लगाएं.

एक नारियल को लपेटकर कलश के ऊपर लाल कपड़े से रख दें.

चावल यानी अक्षत स्वस्तिक बनाएं और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें. उसी मूर्ति को लाल या गुलाबी रंग की चुनरी से ढक दें.

कलश स्थापना के साथ ही अखंड ज्योति भी जलाई जाती है.

कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें.

इस मंत्र का करें उच्चारण :

पूजा के आखरी में इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें,

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्ध कृतशेखरम् ।
वृषारूढाम् शूलधराम् शैलपुत्रीम् यशस्विनीम्

वंदे वंचितलभय चंद्राधाकृतशेखरम।
वृषरुधम शुलधरम शैलपुत्रिम यशस्विनीम्॥

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Story Author: Shikha Trivedi

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