Dhanteras 2022: इस साल दो दिन मनाया जा रहा है धनतेरस का पर्व, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि!

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, धनतेरस (Dhanteras) को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है और ये कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन होता है, जो अश्विन के महीने में होता है. इस वर्ष धनतेरस (Dhanteras) दो दिन मनाया जा रहा है.

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Dhanteras 2022: इस साल दो दिन मनाया जा रहा है धनतेरस का पर्व, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि!

Dhanteras 2022: दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत हो गई है, ऐसे में आज के दिन धनतेरस (Dhanteras) मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा-अर्चना की जाती है. ‘धन’ का अर्थ है धन, और ‘तेरस’ का अर्थ 13वां दिन है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, धनतेरस को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है और ये कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन होता है, जो अश्विन के महीने में होता है. इस वर्ष धनतेरस (Dhanteras) दो दिन मनाया जा रहा है.

हिंदी धर्म के अनुसार, धनत्रयोदशी के दिन समुन्द्र मंथन के दिन माता लक्ष्मी और कुबेर के साथ स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि भी प्रकट हुए थे. इसी वजह से धनतेरस (Dhanteras) मनाया जाता है. आज धनतेरस (Dhanteras) के मौके पर हम आपको बताते हैं कि आज किस मुहूर्त में पूजा करें और इस दिन का महत्व क्या है.

शुभ मुहूर्त:

इस साल धनतेरस (Dhanteras) का पवन पर्व 22 और 23 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. 22 अक्टूबर को पूजा करने का शुभ मुहूर्त 6 बजकर 58 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. उसके बाद 23 अक्टूबर को पूजा करने का शुभ मुहूर्त पूजा शाम 5 बजकर 44 मिनट से शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगी. यह पढ़े: Kanatara: साउथ एक्टर ऋषभ शेट्टी की फैन हुई कंगना रनौत, ‘कांतारा’ देखने के बाद तारीफ करते नहीं थक रही एक्ट्रेस!


पूजा विधि:

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस (Dhanteras) के त्योहार पर बर्तन जैसे कई चीजें खरीदते हैं. लोग ज्यादातर सोने और चांदी से बनी चीजें जैसे आभूषण, सिक्के, बार और कई अन्य चीजें खरीदते हैं. साथ ही, भक्त देवी धन्वंतरि को अर्पित की गई वस्तुओं से पूजा करते हैं. धनतेरस (Dhanteras) अपने परिवार और करीबी रिश्तेदारों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान से आशीर्वाद लेने के लिए मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि की भक्ति से पूजा करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं. इस दिन धनतेरस (Dhanteras) पर कुबेर देवता की तस्वीर स्थापित कर रोली, हल्दी, अक्षत, फूल, फल, नेवैद्य आरपीर करें और ‘ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय’ मंत्र का जाप करें.

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Story Author: Shikha Trivedi

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