अनसुलझे रहस्यः ‘ट्रेजेडी क्वीन’ मीना कुमारी ने आखिर मौत से पहले क्यों कहा था- मुझे बचा लो, मैं मरना नहीं चाहती

भारतीय सिनेमा के इतिहास को जब-जब दोहराया जाएगा, तब-तब बॉलीवुड की 'ट्रेजेडी क्वीन' मीना कुमारी (Tragedy Queen Meena Kumari) को याद किया जाएगा। अभिनेत्री ने साल 1952 में लेखक और फिल्मकार कमाल अमरोही (Kamal Amrohi) से शादी की थी।

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अनसुलझे रहस्यः ‘ट्रेजेडी क्वीन’ मीना कुमारी ने आखिर मौत से पहले क्यों कहा था- मुझे बचा लो, मैं मरना नहीं चाहती
मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त, 1933 को मुंबई में हुआ था। (फोटो- वीडियो ग्रैब)

बॉलीवुड में ‘ट्रेजेडी क्वीन’, ‘चाइनीज डॉल’, ‘फीमेल गुरुदत्त’ जैसे कई उपनामों से पुकारी जाने वालीं अभिनेत्री मीना कुमारी (Tragedy Queen Meena Kumari) को जीवन में सब कुछ मिला था। बेहद कम उम्र में भारतीय सिनेमा में कदम रखना और फिर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी शर्तों पर काम करना, उस दौर में (50-60 के दशक में) जरा भी आसान नहीं था। मीना कुमारी नाम, पैसा, शोहरत होने के बाद भी अकेली थीं। उनकी असल जिंदगी भी उनके उपनाम की तरह किसी ‘ट्रेजेडी’ से कम नहीं थी।

1 अगस्त, 1933 को मुंबई (तत्कालीन बंबई) में जन्मीं मीना कुमारी का असल नाम महजबीं बानो था। कहा जाता है कि उनके पैदा होने के बाद उनके पिता के पास अस्पताल का बिल भरने के पैसे तक भी नहीं थे। मुफलिसी से तंग आकर एक दिन वो मीना कुमारी को अनाथालय के बाहर रख आए थे, लेकिन घर लौटते समय एक बाप का दिल पसीज गया और वो फौरन अपनी नवजात बच्ची को लेने के लिए अनाथालय की ओर भागे।

नवजात बच्ची के शरीर पर लग चुकी थीं चीटियां

नवजात के शरीर को चीटियां अपना निवाला बनाने की तैयारी कर रही थीं, लेकिन उस मासूम की किस्मत में तो फिल्मी दुनिया पर छा जाना लिखा था। साल 1947 में बीमारी के चलते उनकी मां की मौत हो गई। उस समय तक महजबीं बानो मीना कुमारी बन चुकी थीं। फिल्म निर्देशक विजय भट्ट ने ही उन्हें ये नाम दिया था। अभिनेत्री ने करीब 3 दशक तक फिल्मी दुनिया पर राज किया था।

1949 में हुई थी मीना कुमारी की कमाल अमरोही से मुलाकात

मां की मौत के 2 साल बाद यानी 1949 में मीना कुमारी की मुलाकात मशहूर लेखक और फिल्मकार कमाल अमरोही (Kamal Amrohi) से होती है। कमाल शादीशुदा थे और उसी साल कमाल के निर्देशन में बनी सुपरहिट फिल्म ‘महल’ उनको शोहरत की नई बुलंदियों पर ले जा रही थी। कमाल अपनी अगली फिल्म ‘अनारकली’ में मीना कुमारी को लेना चाहते थे। इसी वजह से अक्सर उनकी मुलाकातें होने लगीं।

विनोद मेहता ने लिखी थी मीना कुमारी की बायोग्राफी

जाने-माने पत्रकार विनोद मेहता ने मीना कुमारी की जीवनी लिखी थी, जिसका नाम था ‘मीनाकुमारी- अ क्लासिक बायोग्राफी।’ अपनी किताब में उन्होंने बताया था कि मौसमी का जूस पिलाने से मीना कुमारी और कमाल अमरोही के प्यार की शुरूआत हुई थी। दरअसल एक बार पुणे से लौटते समय अभिनेत्री की कार का एक्सीडेंट हो गया था। जिसके बाद कमाल हफ्ते में एक बार उन्हें देखने के लिए पुणे जरूर जाते थे।

1952 में मीना कुमारी और कमाल अमरोही ने की शादी

प्यार परवान चढ़ा और साल 1952 में मीना कुमारी और कमाल अमरोही (Meena Kumari Kamal Amrohi) ने शादी कर ली। शादी के बाद उनका रिश्ता पहले जैसा नहीं रह गया था। मीना कुमारी आजाद रहना चाहती थीं, लेकिन अभिनेत्री को लगता था कि कमाल उनकी आजादी पर बंदिशें लगा रहे थे। इसी खटास ने झूठ की शक्ल अख्तियार कर ली और मीना अक्सर कमाल से झूठ बोलकर बाहर जाने लगीं। दोनों के बीच की कड़वाहट ने अब उनको अलग कर दिया।

शराब और तंबाकू की लत ने ‘ट्रेजेडी क्वीन’ को बना दिया था बीमार

वहीं शराब और तंबाकू की लत ने मीना कुमारी को बीमार बना दिया था। मीना कुमारी बेहद कमजोर हो गई थीं। ‘गोमती के किनारे’ फिल्म के निर्देशक सावन कुमार टाक ने बताया था कि मीना काम को लेकर बेहद संजीदा थीं, लेकिन अब शरीर उनका साथ नहीं दे रहा था। वो इस फिल्म को इस शर्त पर करने के लिए राजी हुई थीं कि सावन ही इस फिल्म का निर्देशन करेंगे। सावन कहते हैं, ‘मीना कुमारी ने मुझे डायरेक्टर बनाया था।’

‘पाकीजा’ फिल्म ने मीना कुमारी को अमर कर दिया

भारतीय सिनेमा के इतिहास की शानदार फिल्मों के जिक्र में लोग ‘पाकीजा’ फिल्म (Pakeezah Film) का नाम लेना नहीं भूलते। वही फिल्म जिसके लिए अभिनेता राज कुमार, अशोक कुमार और नादिरा को खूब याद किया जाता है, लेकिन इस फिल्म ने अगर किसी को अमर किया तो वो थीं बॉलीवुड की ‘ट्रेजेडी क्वीन’ मीना कुमारी। साल 1972 में रिलीज हुई इस फिल्म का निर्देशन उनके पति कमाल अमरोही ने ही किया था।

‘पाकीजा’ की शूटिंग के दौरान बीमारियों से घिरीं मीना कुमारी

इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही मीना कुमारी लीवर सिरोसिस समेत कई बीमारियों की चपेट में आ गई थीं। जैसे-तैसे फिल्म की शूटिंग पूरी की गई। आखिरी दिनों में अभिनेत्री ‘सेंट एलिजाबेथ नर्सिंग होम’ में रही थीं। वह अक्सर अपने इर्द-गिर्द मौजूद लोगों से कहती थीं कि वो उन्हें बचा लें, वो मरना नहीं चाहतीं। इलाज के दौरान ही वो कोमा में चली गईं और फिर 31 मार्च, 1972 को वो हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया से रुखसत हो गईं।

मीना कुमारी ने की थीं 100 से ज्यादा हिंदी फिल्में

वैसे तो ‘ट्रेजेडी क्वीन’ मीना कुमारी को उनकी फिल्मों ‘दायरा’, ‘दो बीघा जमीन’, ‘बैजू बावरा’, ‘चित्रलेखा’, ‘परिणीता’, ‘साहब, बीवी और गुलाम’ के लिए भी बखूबी पहचाना जाता है, लेकिन ‘पाकीजा’ फिल्म उनके करियर की वो फिल्म रही जिसमें मीना कुमारी का किरदार सभी कलाकारों पर भारी पड़ा था। इसकी वजहें चाहें जो भी रही हों। महज 39 साल की उम्र में सुपरस्टार कहलाने वालीं मीना कुमारी ने 100 से ज्यादा हिंदी फिल्में की थीं।

‘3 नाम हमेशा जिंदा रहेंगे, मीना कुमारी, कमाल अमरोही और पाकीजा’

कमाल अमरोही के बेटे ताजदार अमरोही (Tajdar Amrohi) ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘जिस तरह से शाहजहां ने ताजमहल बनाकर अपनी मरहूम बेगम मुमताज महल को हमेशा-हमेशा के लिए अमर कर दिया था, वैसे ही कमाल अमरोही ने पाकीजा बनाकर मीना कुमारी के लिए ताजमहल खड़ा किया और उनको अमर कर दिया। फिल्मी दुनिया में तीन नाम हमेशा जिंदा रहेंगे, मीना कुमारी, कमाल अमरोही और पाकीजा।’

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Story Author: राहुल सिंह

उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।

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