मुझे हमेशा से पता था कि मेरे लुक्स से ज्यादा मेरा काम मुझे सक्सेस तक पहुँचाएगा!
लीगसी मेरे लिए पैसों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। फ़िल्में स्थायी होती हैं और उससे मिलने वाले फेम और पैसा बस एक प्रोडक्ट की तरह है।
मैं अब भी गुडगाँव का वो लड़का है जो दूर से बॉलीवुड प्लेनेट को बड़े एक्साइटमेंट से देखता है।
वज़न बढ़ाना, वज़न घटना, दाढ़ी बढ़ाना, ये सब मेथड एक्टिंग है। अपने किरदार के साथ इन्साफ करना ही मेथड एक्टिंग है।
अनुभव से मिलता है परफॉरमेंस! इसलिए शुरूआती दौर के मुकाबले मैं इंडस्ट्री में अब ज्यादा कम्फर्टेबल हूं!
मेरे लिए सिर्फ फ़िल्म की कहानी और फ़िल्म मेकर महत्वपूर्ण है। फ़िल्म का कमर्शियल होना न होना जरुरी नहीं है।
जो फ़िल्मी बैकग्राउंड से नहीं हैं उनके लिए बॉलीवुड में सर्वाइव करना बहुत मुश्किल है और या तो उन्हें काफी लकी होना होगा। और मुझे लगता है इसके लिए हर किसी को तैयार रहना चाहिए।
स्टार बन जाना एक एक्सीडेंट की तरह है। आप एक फ़िल्म के बाद स्टार बन सकते हैं लेकिन और आने वाली दस फ़िल्मों का क्या? तो मेरे लिए यहां बने रहना और अपने काम के प्रति ईमानदार रहना ज्यादा ज़रूरी है।
अगर ऑनस्क्रीन रियल कैरेक्टर निभाना है तो मुझे अपनी ज़िन्दगी में भी रियल होना होगा। नहीं, तो मैं अपने आप से झूठ बोलने वाला बन जाऊँगा।
मेरे पास कोई प्लान बी नहीं था, मुझे हमेशा से एक्टर ही बनना था। मैंने इसके अलावा कभी कुछ सोचा ही नहीं।
दस लोगों को मारकर भी अच्छे दिखना, मेरे लिए यही एक्टिंग था लेकिन अब सब बदल चुका है। मैंने अपने आपको बदला है और आर्ट की तरफ ख़ुद को ढाला है।
हां नेपोटिज़म यहां है लेकिन उसके साथ एक उम्मीद भी है। मैं एक आम लड़का हूं गुडगाँव से और अगर मैं कुछ कर सकता हूं तो कोई भी कर सकता है।
बॉलीवुड से जुड़ी ऐसी कई रोचक ख़बरों के लिए यहां क्लिक करें!