डेमोक्रेसी पर ऐसा क्यों बोले जावेद अख्तर …तो फिर आप चले जाइए सीरिया या पाकिस्तान!

गीतकार, कवि-लेखक जावेद अख्तर ने देश के मौजूदा हाल को बयां किया है। मोदी सरकार के देशप्रेम और शहरों के नाम बदलने को लेकर सवालिया निशान साधा है।

Javed Akhtar - (photo instagram)

गीतकार, कवि-लेखक जावेद अख्तर ने देश के मौजूदा हाल को बयां किया है। मोदी सरकार के देशप्रेम और शहरों के नाम बदलने को लेकर सवालिया निशान साधा है। इतना ही नहीं अपनी हालिया रचना ‘साजिश’ के जरिए सरकार की गतिविधियों को बताने का प्रयास किया। इसके अलावा डेमोक्रेसी को भी बखूबी बयां किया। जैसा हम देख रहे हैं कि मोदी सरकार के आदेश पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी अपने शहरों के नाम बदलने में खासे व्यस्त हैं। मुगलसराय अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय, इलाहाबाद प्रयागराज हो चुके हैं। इसके साथ ही अब फरीदाबाद को अयोध्या बनाने की बात चल रही है। इसको जावेद साहब ने पैसे और समय की बर्बादी करार दिया है।

साहित्य आजतक के मंच पर जावेद अख्तर ने कहा, ‘देश में तमाम मुद्दे हैं काम करने के लिए लेकिन सरकार शहरों के नाम बदलने में मशगूल है। जबकि ये सब पैसे और समय की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं है।’ इस दौरान उन्होंने साहित्य आजतक के मंच से ‘साजिश’ नामक कविता के साथ मौजूदा परिस्थितियों का हाल बयां किया। इसके जरिए उन्होंने कहा कि वाकई में साजिश के तहत काम किया जा रहा है। हमें इसके लिए जागरूक होना चाहिए। हमें लोकतंत्र को बचाने के लिए एकजुट होना पड़ेगा। वैसे भी जावेद अख्तर हमेशा देश के ज्वलंत मुद्दों पर बोलते नजर आते हैं।

पांच हजार साल में डेमोक्रेसी…
आजतक की एंकर अंजना ओम कश्यप ने चाय और मोदी सरकार को लेकर इशारा किया तो जावेद अख्तर साहब ने कहा, ‘ये चाय और मोदी जी बीच में कैसे आ गए। मोदी जी तो बड़े लोग हैं। हम इस पर क्या बात करेंगे।’ लेकिन इसके साथ ही जावेद अख्तर साहब ने कहा, ‘लोग तो थोड़ी देर में पता नहीं कैसे नफरत पैदा कर दे रहे हैं। हर इंसान को अपने शहर, गांव मोहल्ला से प्यार करता है। इसका मतलब यह नहीं है कि वह दूसरों के गांव और कौम से नफरत करता है। देशप्रेम तो हमारे रग-रग में है। लेकिन उसको तोड़ने की कोशिश की जा रही है। समाज में आग लगाने का प्रयास जारी है। हम पांच हजार साल में डेमोक्रेसी के लिए तैयार हुए हैं। इसिलए हमें इसे बचाना चाहिए।’

ये देश आपके लिए ठीक नहीं…
आगे उन्होंने कहा, ‘डेमोक्रेसी में हर कोई आजाद है। हम किसी भी बात पर सहमत और असहमत हो सकते हैं। इसके लिए हम आजाद हैं। ऐसा पहले नहीं था कि किसी की असहमति पर सवाल उठाएं। आजकल तो कोई आपकी बात से सहमत हो तो देशभक्त और असहमत हो तो देशद्रोही करार दिया जा रहा है। देश की एक गली या नाली से प्यार करना भी देशप्रेम है। हमें अपने मुहल्ले को ठीक करने से लेकर किसीकी मदद करना तक राष्ट्रभक्ति है। लोकतांत्रिक समाज तो हमेशा बदलता रहता है। यदि आप इससे सहमत नहीं होती हैं तो फिर जाइए सउदी अरब, पाकिस्तान… ये देश आपके लिए नहीं है। क्योंकि लोकतांत्रिक समाज तो हमेशा से बंटा हुआ रहा है। यहां तो हर विचार के लिए जगह है। बस एक ही विचार के लोग चाहिए तो फिर ये देश आपके लिए ठीक नहीं है अंजना जी।’

देखिए वीडियो…

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.